सुनो! आज प्रेम का त्यौहार है..... मैं अपने आस-पास देख रहा हूँ वो सारे चेहरे...... जो कल तक मुरझाए हुए थे लेकिन आज खिले हुए हैं...... वो चेहरे! जिनको मिल गया है प्रेम...... वो चेहरे! जिन्होंने महसूस किया है प्रेम..... और ... वो चेहरे! जिनके इर्द-गिर्द.... गुलाब की मासूम पंखुड़ियों ने कर दिए हैं..... अपने हस्ताक्षर। इन चेहरों के बीच... काश! एक दर्पण होता ......उस दर्पण में .......एक अक्स तुम्हारा होता... और..... दूर कहीं.... तुम्हारा अपना... 'मैं'..... खुश हो रहा होता...... तुम्हारी खिलती मुस्कुराहट के ......एक दर्जन भाव देख कर।
सुनो! तुम जहां भी हो.....तुमको आज का दिन मुबारक।
एक न एक दिन प्रेम अपनी मंज़िल पा ही लेता है
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर
ReplyDeleteI read this post your post so nice and very informative post thanks for sharing this post keep it up! thank you
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