मन के भीतर की
उथल पुथल लिखूं
या
टूटे दिल के राज़ लिखूं
उड़ते उड़ते जो गिर पड़ा
क्या उसकी परवाज़ लिखूं
किस देहरी पर अल्फाज़ लिखूं?
जिसको अपना माना समझा
उसके दिए ऐसे दिनों में
क्या अपना पल छिन गिनूं
या इसी एकांत वास में
लौट आती आवाज़ बनूं
किस देहरी पर अल्फाज़ लिखूं?
दूर श्मशान से उठते धुंए में
अपनी चिता मैं आप बनूं
या बची हुई राख में
फिर किसी का राज़ रखूं
किस देहरी पर अल्फाज़ लिखूं?
यशवन्त माथुर
09 नवंबर 2023