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25 June 2024

40 पार के पुरुष-3

40 पार के पुरुष
बंद कर देते हैं
नए सपने देखना
क्योंकि
उनके पुराने
अधूरे सपने
बाई फोकल
और प्रोग्रेसिव लेंस की
उधेड़बुन में
कहीं अटक कर
अनकहे 
और अनसुने ही
रह जाते हैं।
क्योंकि 
उनमें से कुछ
अपवादों की झिझक में
चाह कर भी
अपने जज़्बात 
कह नहीं पाते हैं।

40 पार के पुरुष
वर्तमान को
नियति मान कर
यथास्थिति में
पथरीले रास्तों पर
चलते हुए
विलुप्त हो जाते हैं
तथाकथित अपनों की 
याददाश्त की
परिधि से।

-यशवन्त माथुर©
 
25 जून 2024

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3 comments:

  1. आजकल तो अस्सी साल के लोग भी सपने देखते हैं और उन्हें पूरा करते हैं

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  2. सभी तो नहीं हाँ कुछ पुरुष जिम्मेदारियों के बोझ तले ऐसा महसूसते होंगे।
    सुंदर सृजन।

    आ. यशवंत जी ! आपकी इस पोस्ट पर इस समय कोई विज्ञापन नहीं दिख रहा ।

    ReplyDelete
  3. सुंदर सृजन

    ReplyDelete
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