हमने
बना दिया है
कूड़ा घर
इस दुनिया के पार
सुदूर अंतरिक्ष को भी
कभी
बे मतलब की
तथाकथित 'खोजों'
का नाम देकर ,
कभी
इंसानों को भेजकर
हम भरते हैं दंभ
अपने 'विकास' के पथ का।
ऐसा विकास
जो चाँद, मंगल, बुध
और हर ग्रह पर पहुँच कर
धरातल पर
भूख-गरीबी
और बेरोजगारी से जूझते
फुटपाथों पर सोने
और जूठन खाने वाले
हर इंसान को
सिर्फ
अफ़ीमी ख्वाब दिखाता है
अपनी बस्ती बसाने के।
विज्ञान के नाम पर
दुनिया का
हर अंतरिक्ष कार्यक्रम
हो सकता है
सच्चा, सस्ता और अच्छा
बशर्ते
वह सीमित रहे
सिर्फ रक्षा -
परस्पर सम्प्रेषण के
अनुसंधान
और विकास तक।
29 जून 2024
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सुन्दर
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteसही है
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