बरसों की कमाई को
जब तक बेचा जाएगा...
सार्वजनिक उपक्रमों को
जब तक निजी किया जाएगा...
जात-धर्म की बातों से
जब तक बांटा जाएगा...
मां-बहन बेटी का अस्तित्व
जब तक बच न पाएगा.....
कामगारों का खून
जब तक चूसा जाएगा....
किसानों की फसलों को
जब तक लूटा जाएगा....
बेरोजगारों युवाओं को
जब तक पीटा जाएगा....
विरोधी स्वरों को सड़कों पर
जब तक घसीटा जाएगा....
सच की बात को शासक
जब तक कुबूल न पाएगा....
गृहस्थी चलाने वाला महंगाई को
जब तक भूल न पाएगा...
सोचिए!
क्या ऐसे ही
भारत विकसित बन पाएगा????
19 अगस्त 2024
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