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31 October 2024

दीप जलता रहे

हमारे चारों ओर के
इस घने अंधेरे में 
समय थोड़ा ही हो 
भले उजेला होने में 

विश्वास आत्म का 
आत्म पर यूं ही बना रहे
साकार हर स्वप्न 
सदा होता रहे

अपने हर सरल - 
कठिन रूप में
जीवन जगमगाता रहे
दीप जलता रहे
उजास लाता रहे।

✓यशवन्त माथुर©

🪔आपको सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं 🪔

06 October 2024

देहरी पर अल्फ़ाज़ ......

मन की देहरी पर
लिखे कुछ अल्फाज़ 
जब उसे लांघ कर
परिकल्पना के
सामने आते हैं....
संकोच से
संकुचित हो जाते हैं
सिर्फ ये सोचकर
कि अगर उन्हें कह दिया गया
किसी से
तो क्या होगा?
क्या तूफान आएगा...?
या बनी रहेगी...
शांति?
या कि बस
कलम की नोंक तक 
आने के पहले ही
उन्हें उड़ कर
कहीं खो जाना होगा
समय रेखा के
उसपार की
अदृश्य सर्जना में।

✓यशवन्त माथुर©
06/09/2024
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