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04 January 2025

कुछ लोग-58

कुछ लोग
जो रूप धरे रहते हैं
दोस्त का
दोस्त नहीं होते
बल्कि
होते हैं प्रतिरूप
भेड़ की खाल में
भेड़िए के चरित्र का।
ऐसे लोग
स्वजन
स्वजात की बातें
जुबान पर रखते तो हैं 
मगर
होते हैं 
एक कदम आगे  ही
पराएपन की
मन में रची-
बसी सोच के।
ऐसे लोगों से पार पाना
असंभव तो है
लेकिन समय पर 
अगर भांप लिया जाए 
इनकी मंशा को
तो नामुमकिन नहीं
विजय 
अग्निपरीक्षा के
कठिन दौर में।

यशवन्त माथुर©
04 जनवरी 2025


03 January 2025

उम्मीदें

कभी टूटती
कभी बढ़ती
कभी घटती उम्मीदें
साथ जुड़ती
कभी साथ छोड़ती
उम्मीदें
दिमाग में भरकर
बोझ जिस्म पर बनती हैं
गहरे ज़ख्मों से गहरी
होती हैं उम्मीदें।

✓यशवन्त माथुर©

02 January 2025

सनक

हर इंसान के भीतर
होती है
एक सनक।
सबमें
थोड़ी कम
थोड़ी ज्यादा का ही
फर्क होता है।
मैने देखा है
और मैं देखता हूं
कि सनक
जब होती है नियंत्रण में
तब उसका रूप
अरूप ही रहता है
लेकिन
जब हमारे आस-पास के
तथाकथित अपने
कर देते हैं मजबूर
तो सनक
अपने मुखर
मजबूत रूप में
आ ही जाती है सामने
जिसका परिणाम
सिवाय विस्फोट के
और कुछ भी 
नहीं होता।
.
✓यशवन्त माथुर©

01 January 2025

गति अवरोधक....

चलते हुए
जीवन पथ पर
अचानक आने वाला
हर गति अवरोधक
ऐसा लगता है
जैसे
कोई लेना चाह रहा हो
अग्नि परीक्षा
कि कितनी सामर्थ्य से
कोई बना सकता है
परिस्थितियों को
अपने अनुकूल
या जो असफलता मिली
उसमें हुई
क्या क्या भूल।
मैं 
हमेशा बचना चाहता हूं
परीक्षा से
क्योंकि मुझे लगता है
कि मैं छू चुका हूं
असफलताओं के
चरम को।
✓यशवन्त माथुर©

2025

शीत को उसकी लहर मुबारक 
सबको कोट और शाल मुबारक 
साल मुबारक। 

फुटपाथ पर हैरान-परेशान आदमी 
कंबल-रजाई की आस मुबारक 
साँस मुबारक। 

जिनको नसीब नहीं पूरे कपड़े 
उनको अधूरे ख्वाब मुबारक 
मार मुबारक। 

मैं तो यूं ही पागल हूँ 
बेमतलब की बात मुबारक 
सबको अपना हाल मुबारक। 

साल मुबारक। 


-यशवन्त माथुर©
 
 
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