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01 January 2025

2025

शीत को उसकी लहर मुबारक 
सबको कोट और शाल मुबारक 
साल मुबारक। 

फुटपाथ पर हैरान-परेशान आदमी 
कंबल-रजाई की आस मुबारक 
साँस मुबारक। 

जिनको नसीब नहीं पूरे कपड़े 
उनको अधूरे ख्वाब मुबारक 
मार मुबारक। 

मैं तो यूं ही पागल हूँ 
बेमतलब की बात मुबारक 
सबको अपना हाल मुबारक। 

साल मुबारक। 


-यशवन्त माथुर©
 
 
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