08 January 2025

सुनो ......5

सुनो! मुझे पता है ..........कि जनवरी के घने कोहरे वाले इन दिनों में ................मेरे पास सिर्फ मेरे ख्याल हैं ............जो छटपटाते हुए कर रहे हैं इंतजार ...............संक्रान्त से पहले अपनी खोह से बाहर निकलने का। 
पता है क्यों? ..............क्योंकि मैंने सुना है ...और देखा भी है.... कि या तो इस दिन धूप निकलती है....... या शीत लहर और कुपित होती है......... तो अगर इससे पहले .....मेरे साथी-मेरे ख्याल....... अगर आ गए बाहर .......तो खाली  हो जाएगी एक जगह ......नए ख्यालों के पनपने की। 
और सुनो! मुझे अब तक तलाश है....... कुछ नए ख्यालों की..... जिनका एक जरिया तुम भी हो सकते हो। 



-यशवन्त माथुर©
 
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