जीवन पथ पर
अचानक आने वाला
हर गति अवरोधक
ऐसा लगता है
जैसे
कोई लेना चाह रहा हो
अग्नि परीक्षा
कि कितनी सामर्थ्य से
कोई बना सकता है
परिस्थितियों को
अपने अनुकूल
या जो असफलता मिली
उसमें हुई
क्या क्या भूल।
मैं
हमेशा बचना चाहता हूं
परीक्षा से
क्योंकि मुझे लगता है
कि मैं छू चुका हूं
असफलताओं के
चरम को।
✓यशवन्त माथुर©
नव वर्ष शुभ हो |
ReplyDeleteचरम वही है जो अभी आया नहीं
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