प्रतिलिप्याधिकार/सर्वाधिकार सुरक्षित ©

इस ब्लॉग पर प्रकाशित अभिव्यक्ति (संदर्भित-संकलित गीत /चित्र /आलेख अथवा निबंध को छोड़ कर) पूर्णत: मौलिक एवं सर्वाधिकार सुरक्षित है।
यदि कहीं प्रकाशित करना चाहें तो yashwant009@gmail.com द्वारा पूर्वानुमति/सहमति अवश्य प्राप्त कर लें।

18 January 2025

फुटपाथ ....

कानों में गूँजती 
अनगिनत 
स्वर लहरियों के साथ 
कहीं रास्ते पर 
चलते कदम 
अक्सर
ठिठक कर रुक जाते हैं 
जब नज़रों के सामने 
फुटपाथ 
आ जाते हैं। 

हाँ 
सड़क किनारे के 
वही फुटपाथ
जो 
कुछ लोगों के रहने का 
ठौर बनकर 
जीवन का असली रंग 
दिखा जाते हैं।
 
इन फुटपाथों पर लगे 
ईंटों के तकिये 
कंक्रीट के बिस्तर 
और किसी 'और' की 
मैली-तिरस्कृत चादर
काफी होती है 
ढकने को 
किसी का आँचल 
या देने को 
ममत्व की छाँव  
जिसमें पल-बढ़ कर 
आकार लेती है 
एक नई पीढ़ी 
डामर की 
बंजर सड़कों पर चलते 
हम जैसे 
बेजान -बेदिल- 
बोझिल लोगों को 
लिखने के लिए 
नया विषय
और कुछ शब्द 
देती हुई।  
 
-यशवन्त माथुर© 
18 जनवरी 2025 

  एक निवेदन- 
इस ब्लॉग पर कुछ विज्ञापन प्रदर्शित हो रहे हैं। आपके मात्र 1 या 2 क्लिक मुझे कुछ आर्थिक सहायता कर सकते हैं। 

No comments:

Post a Comment

+Get Now!