होती है
एक सनक।
सबमें
थोड़ी कम
थोड़ी ज्यादा का ही
फर्क होता है।
मैने देखा है
और मैं देखता हूं
कि सनक
जब होती है नियंत्रण में
तब उसका रूप
अरूप ही रहता है
लेकिन
जब हमारे आस-पास के
तथाकथित अपने
कर देते हैं मजबूर
तो सनक
अपने मुखर
मजबूत रूप में
आ ही जाती है सामने
जिसका परिणाम
सिवाय विस्फोट के
और कुछ भी
नहीं होता।
.
✓यशवन्त माथुर©
नव वर्ष शुभ हो |
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