जिंदगी के
किसी मोड़ पर
चलते चलते
हम
खुद को पाते हैं
एक ऐसे
दोराहे पर
जहां
दिल और दिमाग में
बसी
हमारी थोड़ी सी
समझ
लड़खड़ाने लगती है
गश खाने लगती है
कभी
किसी डर से
कभी
किसी झिझक से
या कभी
समय के
गति परिवर्तन से।
अचानक
सामने आ जाने वाले
ये दोराहे
जरूरी भी होते हैं
हमारे खुद के
परिवर्धन के लिए।
-यशवन्त माथुर©
23 जनवरी 2025
सच है
ReplyDeleteपर हम अक्सर आसान राह चुन लेते हैं और एक दिन फिर किसी दोराहे के सम्मुख आ खड़े होते हैं
ReplyDeleteबहुत सुंदर
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