यहां
इतना कुछ लिखा जा चुका है
कि
नई कड़ियों में
जुड़ते हुए
शब्द
बस अपने अर्थ
और वर्णमाला को
दोहराते हुए
लगते हैं
बोझिल से
क्योंकि
सब पढ़ चुके हैं
क्योंकि
सब लिख चुके हैं
क्योंकि
सब चल चुके हैं
तलवार की धार पर
जो अब भोथरी हो कर
पा चुकी है
अपना चरम बिंदु।
✓यशवन्त माथुर©
05 जनवरी 2025
सुन्दर
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