प्रतिलिप्याधिकार/सर्वाधिकार सुरक्षित ©

इस ब्लॉग पर प्रकाशित अभिव्यक्ति (संदर्भित-संकलित गीत /चित्र /आलेख अथवा निबंध को छोड़ कर) पूर्णत: मौलिक एवं सर्वाधिकार सुरक्षित है।
यदि कहीं प्रकाशित करना चाहें तो yashwant009@gmail.com द्वारा पूर्वानुमति/सहमति अवश्य प्राप्त कर लें।

05 January 2025

शब्द

यहां
इतना कुछ 
लिखा जा चुका है
कि 
नई कड़ियों में
जुड़ते हुए 
शब्द
बस अपने अर्थ 
और वर्णमाला को
दोहराते हुए
लगते हैं
बोझिल से
क्योंकि 
सब पढ़ चुके हैं
क्योंकि 
सब लिख चुके हैं
क्योंकि
सब चल चुके हैं
तलवार की धार पर
जो अब भोथरी हो कर
पा चुकी है
अपना चरम बिंदु।

✓यशवन्त माथुर©
05 जनवरी 2025



1 comment:

+Get Now!