भले ही वक़्त
साथ दे
या
न दे
अपनी महत्त्वाकांक्षा
अपना अहम्
अपने साथ लेकर
हमें जाना ही है
इस पार से
उस पार
लेकिन
कब -किस तरह
न मालूम
रास्ता
न यह पता कि
क्या होगा
परिणाम
बस अपने अनंत की
चिर प्रतीक्षा का अंत
कब होगा....
पता नहीं।
09 01 2025
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