प्रतिलिप्याधिकार/सर्वाधिकार सुरक्षित ©

इस ब्लॉग पर प्रकाशित अभिव्यक्ति (संदर्भित-संकलित गीत /चित्र /आलेख अथवा निबंध को छोड़ कर) पूर्णत: मौलिक एवं सर्वाधिकार सुरक्षित है।
यदि कहीं प्रकाशित करना चाहें तो yashwant009@gmail.com द्वारा पूर्वानुमति/सहमति अवश्य प्राप्त कर लें।

02 February 2025

बस इतना वर मिले .....

जो घूम रहा 
लावारिस बचपन 
बना रहे 
उनका लड़कपन 

बस इतना वर मिले 
हर मुरझाया चेहरा खिले। 

हो विस्तार 
सिमटी समृद्धि का  
न किसी को 
भेद भाव मिले 

बस इतना वर मिले 
सबको अमन-चैन मिले।

जैसे बिछी है चादर 
खिली सरसों की 
जैसे हर क्यारी में 
गेंदा फूल 

ऐसे ही हर जन-मन के 
चेहरे को मुस्कान मिले। 

बस इतना वर मिले। 

(वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ)


-यशवन्त माथुर©
02 फरवरी 2025 
 
  एक निवेदन- 
इस ब्लॉग पर कुछ विज्ञापन प्रदर्शित हो रहे हैं। आपके मात्र 1 या 2 क्लिक मुझे कुछ आर्थिक सहायता कर सकते हैं। 
+Get Now!