02 February 2025

बस इतना वर मिले .....

जो घूम रहा 
लावारिस बचपन 
बना रहे 
उनका लड़कपन 

बस इतना वर मिले 
हर मुरझाया चेहरा खिले। 

हो विस्तार 
सिमटी समृद्धि का  
न किसी को 
भेद भाव मिले 

बस इतना वर मिले 
सबको अमन-चैन मिले।

जैसे बिछी है चादर 
खिली सरसों की 
जैसे हर क्यारी में 
गेंदा फूल 

ऐसे ही हर जन-मन के 
चेहरे को मुस्कान मिले। 

बस इतना वर मिले। 

(वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ)


-यशवन्त माथुर©
02 फरवरी 2025 
 
  एक निवेदन- 
इस ब्लॉग पर कुछ विज्ञापन प्रदर्शित हो रहे हैं। आपके मात्र 1 या 2 क्लिक मुझे कुछ आर्थिक सहायता कर सकते हैं। 

1 comment: