कुछ लोग
मन में द्वेष
जुबान पर अपशब्द
और रूप में
मासूमियत लिए
कराते हैं एहसास
अपनी कड़वी
तासीर का।
ऐसे लोगों की
चाहत होती है
कि वो आगे हो सकते हैं
अपने वर्तमान से
लेकिन वास्तव में
सदियों पीछे की
रूढ़ियों को गठरी में बांधे
ऐसे कुछ लोग
अक्षम होते हैं
खुद के तन
और मन की
कदमताल कराने में भी।
17042025
एक निवेदन-
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सही है, जब तक मन में द्वेष है, अपशब्द निकलते ही रहेंगे, रूप तो चार दिन की चाँदनी है, ऐसे लोग जीवन की दौड़ में पिछड़ते ही रहेंगे
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