13 March 2025
रंग
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यूं तो बहुत कुछ स्याह - सफेद लगा ही रहता है जीवन में बने रहते हैं कुछ दर्द हमेशा के लिए फिर भी आते-जाते चलते-फिरते हमारा वास्ता ...
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02 February 2025
बस इतना वर मिले .....
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जो घूम रहा लावारिस बचपन बना रहे उनका लड़कपन बस इतना वर मिले हर मुरझाया चेहरा खिले। हो विस्तार सिमटी समृद्धि का न किसी को भेद भाव मि...
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23 January 2025
दोराहे
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अक्सर जिंदगी के किसी मोड़ पर चलते चलते हम खुद को पाते हैं एक ऐसे दोराहे पर जहां दिल और दिमाग में बसी हमारी थोड़ी सी समझ लड़खड़ाने लगती ...
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18 January 2025
फुटपाथ ....
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कानों में गूँजती अनगिनत स्वर लहरियों के साथ कहीं रास्ते पर चलते कदम अक्सर ठिठक कर रुक जाते हैं जब नज़रों के सामने फुटपाथ आ जाते हैं। ...
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17 January 2025
हम क्यूँ उलझ रहे ?
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हम क्यूँ उलझ रहे आपसी द्वन्द्व में ? अपनी महत्वाकांक्षाओं के कारण क्यूँ बिगाड़ रहे रूप-रेखा- और सोच एक पूरी पीढ़ी की? आखिर भविष्य को ...
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11 January 2025
अपना सही पता दे......
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तू आसमां में है लेकिन अपना सही पता दे। कौन जात है तेरी धर्म क्या भाषा और अपना करम बता दे। हर कोई अपनी तरह पूजता। कोई सुंदर कोई कुरूप बूझता...
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10 January 2025
हम अंधे हैं .....
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यूं आँखों पर चश्मा लगाए हममें से अधिकतर लोग सच सामने होते हुए भी जब नहीं कर पाते सामना जब नहीं रहती हममें हिम्मत उसे स्वीकार करने ...
09 January 2025
पता नहीं.....
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भले ही वक़्त साथ दे या न दे अपनी महत्त्वाकांक्षा अपना अहम् अपने साथ लेकर हमें जाना ही है इस पार से उस पार लेकिन कब -किस तरह न मालू...
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08 January 2025
सुनो ......5
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सुनो! मुझे पता है ..........कि जनवरी के घने कोहरे वाले इन दिनों में ................मेरे पास सिर्फ मेरे ख्याल हैं ............जो छटपटाते हुए...
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